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एफपीओ क्या है (FPO Kya Hai)

एफपीओ क्या है (FPO Kya Hai) किसान उत्पादक संगठन क्या है? किसान उत्पादक संगठन, असल में यह किसानों का एक समहू होता है, जो वास्तव में कृषि उत्पादन कार्य में लगा हो और कृषि व्यावसायिक गतिविधियां चलाने में एक जैसी धारणा रखते हों, एक गांव या फिर कई गांवों के किसान मिलकर भी यह समूह बना सकते हैं। यह समूह बनाकर संगत कंपनी अधिनियम के तहत एक किसान उत्पादक कंपनी के तौर पर पंजीकरण के लिए आवेदन कर सकते हैं। किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) के माध्यम से जहां किसान को अपनी पैदावार के सही दाम मिलते हैं, वहीं खरीदार को भी उचित कीमत पर वस्तु मिलती है। वहीं यदि अकेला उत्पादक अपनी पैदावार बेचने जाता है, तो उसका मुनाफा बिचौलियों को मिलता है। एफपीओ सिस्टम में किसान को उसके उत्पाद के भाव अच्छे मिलते हैं, उत्पाद की बर्बादी कम होती है, अलग-अलग लोगों के अनुभवों का फायदा मिलता है। एफपीओ से किसान को लाभ (Benefit From FPO) • यह एक सशक्तिशील संगठन होने के कारण एफपीओ के सदस्य के रूप में किसनों को बेहतर सौदेबाजी करने की शक्ति देगी जिसे उन्हें जिंशो को प्रतिस्पर्धा मूल्यों पर खरीदने या बेचने का उचित लाभ मिल सकेगा। • बेहतर व...

कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की जानकारी

कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को अगर आसान भाषा में समझें तो यह किसान और फसल के ख़रीददार के बीच का समझोता होता हैैl इसमें ख़रीदार किसान को फसल बोने के लिए कहता है और किसान से उस फसल की उपज को नियमत कीमत पर खरीदने का वायदा करता है l कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की कामयाब उदहारण   1.National seed corporation दुबारा किसानों से  बीज उत्पादन कराना l 2.चिप्स के लिए किसानों से आलू उत्पादन कराना पश्मीं बंगाल में l 3.पोल्ट्री फार्मिंग का 66% कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में आता है l इसमें सबसे बड़ी मुश्किल यह थी के फसल को बेचने के समय अगर फसल की कीमत कम होती थी तो खरीददार किसानों से कम कीमत पर फसल खरीदते थेl इस लिए केन्दर सरकार दुबारा इस पर अध्यादेश लाया गया है इस को तमिलनाडु की सरकार दुबारा सबसे पहले लागु किया गया है l यह कानून किसान , किसान उत्पादक कम्पनियाँ और खरीददार को क़ानूनी सहयता देता है इस से यह कॉन्ट्रैक्ट में किये गए वायदे से हट नहीं सकते l

मशरूम की खेती की ट्रेनिंग 2020

मशरूम की खेती की ट्रेनिंग 2020 मशरुम की खेती की ट्रेनिंग प्रति बर्ष ICAR - Directorate of Mushroom Research (खुम्ब अनुसन्धान निदेशयलय) दुबारा दी जाती है। जो के सोलन , हिमाचल प्रदेश मैं है। यह कालका - शिमला NH - 22 पर चंडीगढ़ से 75 किलोमीटर की दुरी पर है और कालका रेलवे स्टेशन से 40 किलोमीटर की दुरी पर है।   ट्रेनिंग तीन प्रकार की र खी जाती है।   1. किसानों के लिए   S.No.  कोर्स का विषय   भाषा   सीटों कि संख्या  अवधि  दिनांक  पंजीकरण समय  पंजीकरण शुल्क  1. Training on mushroom cultivation for small/marginal farmers/growers - I   अंग्रेजी  50  05 दिन  सीटें फुल   सीटें फुल   6000 rs.  2. Training on mushroom cultivation for small/marginal farmers/growers - II  हिंदी  50  05 दिन  15-19  सितम्बर  01-10 जुलाई  6000 rs.  3. Training on mushroom cultivation for small/marginal farmers/growers - III   हिंदी  50 ...

श्री विधि से धान की खेती

चावल गहनता  की प्रणाली (SRI) चावल उगाने की एक विधि है जो के मेडागास्कर के किसानों से अपनाई गई है। इस बिधि में बहुत कम बीज दर (5–6 किग्रा / हेक्टेयर) की आवश्यकता है जो मौजूदा का सिर्फ 10-20% है। पारंपरिक चावल उत्पादन में बीज दर 50-60 किग्रा /हेक्टेयर है । फसल भी बहुत कम पानी के साथ उगाई जाती है। SRI विधि की महत्वपूर्ण विशेषताएं: • 15 दिन पुराने पौधों की दो पत्ती अवस्था में रोपाई की जाती है। • 2–5  पौधों के झुरमुट की एक जगह पर एक पौधा ही लगया जाता है।   • रोपाई की दूरी 20 x 20 या 25 x 25 सेमी रखी जाती है। • पौधे की वनस्पति विकास के दौरान, मिट्टी को सिर्फ नम रखा जाता है, न कि पानी खड़ा किया जाता है। • रोपाई के 15 से 20 दिनों के बाद केवल एक निराई की आवश्यकता होती है। • फूलों की अवश्था के दौरान लगभग 3 सेमी पानी बनाए रखा जाता है। कटाई से 20 दिन पहले सिंचाई बंद कर दी जाती है। • रोपाई के दौरान वर्मीकम्पोस्ट @ 1000 किग्रा / हे अंकुर स्थापना में बहुत प्रभावी पाया गया है। रोपाई और खेती की विधि • दो पत्ती अवस्था में 15 दिन पुरानी पौध की रोपाई करें 20 सेमी x 20 सेमी के फासले पर। ह...

धान की जैविक खेती

जलवायु और मिट्टी आवश्यकता उष्णकटिबंधीय (tropical) जलवायु क्षेत्रों में चावल सबसे अच्छा बढ़ता है। हालांकि, यह उपोष्णकटिबंधीय( sub tropical) और समशीतोष्ण (temperate) जलवायु के तहत नम (humid) से उप-नम (sub-humid) क्षेत्रों में सफलतापूर्वक उगाया जाता है। सभी प्रकार की मिट्टी में चावल की खेती की जाती है। उच्च तापमान, पर्याप्त वर्षा, उच्च आर्द्रता (humidity) और सिंचाई सुविधाएं के साथ चावल को किसी भी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है। फसल मौसम और अवधि जलवायु और पानी की उपलब्धता के आधार पर चावल को तीनों मौसम यानी खरीफ, रबी और गर्मी उगाया जाता है। किस्मों के आधार पर फसल की अवधि 100 से 150 दिनों तक भिन्न होती है। उत्तरी और पश्चिमी भारत (J & K, हिमाचल प्रदेश, पंजाब,हरियाणा, उत्तरांचल, उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान,महाराष्ट्र) चावल मुख्य रूप से खरीफ मौसम में उगाया जाता है, जबकि दक्षिणी और पूर्वी भारत में इसे पूरे साल उगाया जाता है, सभी तीन मौसम में अलग-अलग समय और अवधि के साथ | फसल का चक्रिकरण चावल आमतौर पर चावल-गेहूं, चावल-चावल, या चावल-फलियां रोटेशन में एक मोनोक्रॉप के रूप में उगाया जाता...

किसान क्रेडिट कार्ड योजना 2020

किसान क्रेडिट कार्ड कैसे बनवाएं|  किसान क्रेडिट कार्ड हेल्पलाइन नंबर |  किसान क्रेडिट कार्ड ऑनलाइन अप्लाई| किसान क्रेडिट कार्ड अप्लाई| किसान क्रेडिट कार्ड योजना 2020| किसान क्रेडिट कार्ड योजना 2020 देश में चल रहे लॉक डाउन की वजह से देश की वित् मंत्री जी ने इस योजना के तहत देश किसानो को लाभ पहुंचाने के लिए नई घोषणा की है |  इस योजना के अंतर्गत देश के 2.5 करोड़ किसानों को रियायती दर पर 2 लाख करोड़ रुपए का ऋण केंद्र सरकार द्वारा दिया जाएगा।  मछुआरों और पशुपालकों को भी इसका लाभ प्रदान किया जायेगा | देश के जिन किसानो के पास कृषि योग्य भूमि है वही इस योजना का लाभ उठा सकते है | किसान क्रेडिट कार्ड बनवा सकते है इसमें किसानो को कम ब्याज दर पर लोन दिया जाता है । Kisan Cradit Card Yojana 2020 के जरिए फसल के लिए 3 लाख रुपये का लोन दिया जाता है|  किसानों को इस लोन के लिए 7 फीसदी की ब्याज देना पड़ता है| देश के जो किसान इस योजना के तहत लाभ प्राप्त करना चाहते है तो उन्हें क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करना होगा । इस Kisan Credit Card Yojana 2020 के तहत इनकम टैक्स के दायरे में न आन...